His Last Journey - An Ode To My Father
जिस मिट्टी में जन्मा था तू
उस मिट्टी से मिलाने लाया हूँ
जिस गाँव से बनी हस्ती तेरी
वो गाँव दिखाने लाया हूँ
जिस गर्मी से तप तू कठोर हुआ
वो सूरज दिखाने लाया हूँ
जिस नरमी से तू मृदभोर हुआ
उस चाँद से मिलाने लाया हूँ
सोता था जिस ओस की चादर ओढ़
वो आसमान दिखाने लाया हूँ
हर बातें जिसकी देती थी तुझे झँझोड़
उस काका से फिर मिलने लाया हूँ
जी भर के देख ले इन खेतों को
जा मिल उन यारों और चहेतों को
थक गया है तो जा बैठ
ले निहार मन भर उन शाखों और मुँडेरों को
मिले ले उन नदियों और किनारों से
फिर ले विदा उन लहरों और थपेड़ों से
उन नावों और पतवारों से
उस माँझी से, उस साहिल से
कर ले अंतिम संवाद आज यहाँ तू
बांध ले वो हर याद साथ तू
जिस मिट्टी से जन्मा था
उस मिट्टी से फिर तुझे मिला दिया
जिस गंगा का बेटा था तू
उस गंगा से तुझे मिला दिया
गंगा संग जा सागर में मिल,
एक सितारा बन आसमान में खिल
जी भर के देख इस ज़मीं को तू
दो हाथ उठा हमें आशीष दे तू
जी भर के देख इस ज़मीं को तू
दो हाथ उठा हमें आशीष दे तू
Happy Father’s Day Dad. Love You, More than you ever knew...but not more than you loved me.
Rajeev Ranjan
Mon 22nd Jun 2020 07:42
प्रणाम अच्छी कविता भईया
उनके आशीर्वाद से हमें उनके विचारों को प्रचारित करते रहना चाहिए, मेहनात की कामायी, बचो की पढाई और दुसरो की भलाई
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