Hindi Erotic Poetry - आम सरे आम!
वह आई थी पीला सूट डाल कर
हमने रखा था दिल को संभाल कर
आंखे फिर भी फिसलती रही मगर
उसकी जवानी पर जा रही थी नज़र
आज हमने देखे आम सरे आम!
होंठो से उसके छलकता है जाम
बातो में उसके एक मीठा पैगाम
चूम ले मेरा, वह होंठ; इतनी कसरत
बस चूमते रहे मेरी इतनी हसरत
हासिल मुझे हो जाए मेरा मक़ाम!
आज हमने देखे आम सरे आम!
आँखों में खंजर उसके, क़तल करती है
देखूं मैं जितना उसको आँखे उतना आहे भरती है
करीब आ जाए तो आग और पानी की जंग
पिछले कुछ दिनों से उसकी कुरती लग रही तंग
कही रंगीं तो नहीं हो रही उसकी हर शाम!
आज हमने देखे आम सरे आम!
बनावट जवानी की, कि मेरा दिल मचल जाए
आँख बंद कर भी लूं तो चेहरा सामने आए
पानी भीगो दे उससे तो ज़ालिम परी हसीना
कोहिनूर फीका पडेगा उसकी जवानी ऐसा नगीना
उसकी खूबसूरत जवानी को मेरा सलाम!
आज हमने देखे आम सरे आम!
किसी ने लगता है बता दिया है उससे चंद रोज़ पहले
क्यों छुपाए रखे है तुमने नेहले और देहले
चलती है जब वह नागिन सी बल खाती है उसकी कमर
कभी एक रात मेरे आशियाने पर भी हो उसका बसर
रात सारी उसके हुस्न का करेंगे एहतराम!
आज हमने देखे आम सरे आम!
<Deleted User> (24283)
Sun 23rd Aug 2020 09:14
https://youtu.be/ONTIDCe0DeE