Donations are essential to keep Write Out Loud going    

दिन ढल गया...

वो दिन ढल गया

वो दिन ढल गया...,
वो शाम परवान चढ़ गयी...|
वो सवेरा कहीं खो गया..., वो अँधेरा कहीं छा गया....|
हाँ वो स्मा आ गया...,
जहां अपने कहीं खो गए..., बेगाने से हो गए....|
दुनिया कहीं खो गयी अंजानी सी हो गयी....|
वो शाम चढ़ गयी....,
वो दिन कहीं खो गया.....|
वो रह अब वो रही नहीं..., जिसपे चला करते थे कभी....|
वो कलम भी वही, वो स्याही भी वही...,
पर अब वो शब्द अब वो रहे नहीं....,
वो ...

Read and leave comments (0)

This site uses cookies. By continuing to browse, you are agreeing to our use of cookies.

Find out more Hide this message